वॉशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जब न्यूयॉर्क में भारतीय-अमेरिकियों की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि वह दिन दूर नहीं जब आप अमेरिका में भी मेड इन इंडिया चिप देखेंगे, तो हजारों लोगों से भरा हाल तालियों से गूंज उठा। पीएम मोदी सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत की बढ़ती निर्माण क्षमता के बारे में बोल रहे थे। भारत ने अब तक पांच सेमी कंडक्टर इकाइयों को मंजूरी दी है, जिसमें 2 पर काम शुरू हो चुका है। इस बीच जानकारी सामने आई है कि भारत अपना पहला सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट स्थापित करने जा रहा है, जो भारतीय रक्षा बलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा।

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए स्थापित होने वाले प्लांट के निर्माण में अमेरिकी सेना की सबसे आधुनिक शाखा यूएस स्पेस फोर्स मदद करने जा रही है। इसी शनिवार को डेलावेयर में पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच द्विपक्षीय बैठक के बाद फैब प्लांट के बारे में जानकारी सामने आई है। भारत में यह फैब्रिकेशन प्लांट 2025 में स्थापित किया जाएगा और इसका नाम शक्ति रखा जाएगा।

बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने सेमीकंडक्टर सुविधा की स्थापना की सराहना की और इसे भारत-अमेरिका सहयोग के लिए महत्वपूर्ण क्षण बताया। यह सेमीकंडक्टर प्लांट राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण एडवांस सेंसिंग, कम्युनिकेशन और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स पर ध्यान केंद्रित करेगा। प्लांट के जरिए भारतीय रक्षा बलों के साथ ही अमेरिकी सशस्त्र बलों और उसकी सहयोगी सेनाओं को सेमीकंडक्टर चिप्स की सप्लाई की जाएगी।

फैब्रिकेशन प्लांट में अत्याधुनिक इन्फ्रारेड, गैलियम नाइट्राइड और सिलिकॉन कार्बाइड सेमीकंडक्टर का निर्माण किया जाएगा। यह प्लांट भारतीय कंपनियों भारत सेमी, 3 आरडीआईटेक और यूएस स्पेस फोर्स के बीच एक तकनीकी साझेदारी के तहत तैयार होगा, जिसे भारत सेमीकंडक्टर मिशन का समर्थन हासिल है।

अमेरिकी स्पेस फोर्स की स्थापना 2019 में की गई थी। अमेरिकी सेना की सबसे आधुनिक शाखा को अंतरिक्ष युद्ध, मिसाइल डिफेंस, सैटेलाइट आॅपरेशन और स्पेस लॉन्च के उद्देश्य से बनाया गया है। स्पेस फोर्स की मदद से भारत इस सेमीकंडक्टर फैब को बनाने की क्षमता रखने वाले खास देशों में शामिल हो जाएगा। इस प्लांट को जेवर में स्थापित किया जाएगा, जो दुनिया का पहला मल्टी चिप मिलिट्री फैब होगा। यह सिर्फ भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा जरूरतों पर ही फोकस नहीं करेगा, बल्कि क्वाड देशों, इंडो-पैसिफिक और अफ्रीकी बाजारों को निर्यात भी करेगा।

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