पटना। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव शुक्रवार को दर्द से बेचैन दिखे। उन्होंने शनिवार को बताया कि उनकी कमर में दर्द है जो बढ़ गया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि मेरा यह दर्द बिहार के उन करोड़ों बेरोजगार युवाओं की तकलीफ के आगे कुछ भी नहीं है। तेजस्वी यादव ने शनिवार को अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया कि महीनों से अलट-पलट वाली अथक सामाजिक राजनीतिक यात्रा रही है। आराम के अभाव एवं निरंतर यात्रा के कारण दो हफ्ते से कमर में हल्का दर्द था, दो दिन से अचानक बढ़ गया। बता दें कि इससे पहले ममता बनर्जी ने भी 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में पैर में चोट दिखा कर सहानुभूति बटोरने की कोशिश की थी।

तेजस्वी यादव ने कहा कि मेरा ये दर्द बिहार के उन करोड़ों बेरोजगार युवाओं की तकलीफ के आगे कुछ भी नहीं है, जो नौकरी-रोजगार की आस में बैठे हैं जिनके सपनों को विगत 10 वर्षों में धर्म की आड़ में कुचला गया है। मैं अपने दर्द को भूल जाता हूं जब देखता हूं कैसे गरीब माताओं-बहनों को महंगाई के कारण रसोई चलाने में भारी पीड़ा का अनुभव होता है। किसान भाइयों को सिंचाई के साधन व फसल का उचित दाम नहीं मिलने तथा संसाधनों के अभाव एवं रोजी-रोटी के लिए लाखों साथियों के पलायन का कष्ट देखता हूं, तो मुझे मेरा दर्द महसूस भी नहीं होता।
तेजस्वी यादव ने लिखा कि छात्र को पीड़ा है क्यूंकि उन्हें अच्छी पढ़ाई नहीं मिल पा रही। बिहार के मेरे बुजर्गों की पीड़ा है कि उन्हें अच्छी दवाई नहीं मिल पा रही, थाना और ब्लॉक के भ्रष्टाचार से आमजन परेशान है। हर वर्ग को पीड़ा है क्यूंकि उनके अधिकार, उनका न्याय उन्हें नहीं मिल पा रहा है। मैं इन सबों की तकलीफ में अपने आप को साझीदार मानता हूं।

तेजस्वी ने कहा कि बिहार में एनडीए सरकार से जनता त्रस्त है। ऐसे में यदि मैंने अपनी पीड़ा की चिंता की और ये कदम रुक गए तो फिर लोगों की उम्मीदें भी बुझ जाएगीं। महंगाई, तानाशाही, अत्याचार और अन्याय की आग में बिहार झुलसता रहेगा। इसलिए मैंने तय किया है कि भले ही बाधा कितनी हो, भले ही दर्द कितना हो, रुकना नहीं है, झुकना नहीं है और थकना नहीं है। लक्ष्य की प्राप्ति तक चलते जाना है, बढ़ते जाना है, जीतते जाना है जीताते जाना है। लक्ष्य प्राप्त किए बिना रुकना मेरे खून में नहीं है।

जदयू के तेज तर्रार प्रवक्ता निखिल मंडल ने तेजस्वी यादव के इस ट्वीट पर जवाबी हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि तेजस्वी यादव ममता बनर्जी की राह पर चलते दिख रहे हैं। एक समय ममता बनर्जी ने भी अपने पैर में चोट को चुनावी मुद्दा बनाया था। अब तेजस्वी भी उन्हीं की तरह नकल कर रहे हैं। लेकिन उन्हें बिहार के बेरोजगार युवाओं को ये भी बताना चाहिए कि अब तक वो नौकरी के नाम पर ऐसे ही बेरोजगारों से कितनी और जमीन ठग चुके हैं।

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