
नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में देश में महत्वपूर्ण खनिजों उत्पादन हेतु रिसाइक्लिंग क्षमता विकसित करने के लिए 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी गई। योजना के जरिए ई-कचरा और बैटरी से दुर्लभ खनिज निकाले जाएंगे। केंद्र सरकार की यह योजना राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (एनसीएमएम) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश में महत्वपूर्ण खनिजों की घरेलू क्षमता और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने का होगा। योजना का मुख्य उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिज के मामले में चीन पर भारत की निर्भरता को कम करना है। इसलिए योजना के जरिए कॉपर, लिथियम, निकल, कोबाल्ट और रेयर अर्थ खनिज की रिसाइक्लिंग को बढ़ावा दिया जाएगा, जिनका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरियों और अन्य उपकरणों में व्यापक पैमाने पर किया जा रहा।
योजना की अवधि वित्त वर्ष 2025-26 से 2030-31 तक यानी छह वर्ष की होगी। इस दौरान महत्वपूर्ण खनिजों की घरेलू क्षमता और आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन आएगा। योजना के तहत दो तरह की सब्सिडी मिलेगी, जिसमें पहली कैपेक्स सब्सिडी होगा। इसके तहत प्लांट और मशीनरी लगाने के लिए 20 फीसदी सब्सिडी मिलेगी। – दूसरी ओपेक्स सब्सिडी होगी, जिसमें आधार वर्ष (2025-26) के मुकाबले बढ़ी हुई बिक्री पर इनाम मिलेगा। 2026-27 से 2030-31 तक पहले चरण में 40 फीसदी और पांचवें साल तक 60 फीसदी सब्सिडी मिलेगी। – कुल प्रोत्साहन सीमा के तहत बड़ी इकाइयों के लिए अधिकतम 50 करोड़ रुपये और छोटी इकाइयों के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान है। इसमें क्रमश: 10 करोड़ और 5 करोड़ रुपये की ओपेक्स सब्सिडी सीमा होगी। योजना का लाभ इसमें रिसाइक्लिंग क्षमता कुल 270 किलो टन सालाना है, जबकि क्रिटिकल मिनरल उत्पादन 40 किलो टन सालाना होगी। इससे करीब 8,000 करोड़ का निवेश आकर्षित होने की संभावना है, जिसके जरिए करीब 70 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।