नई दिल्ली, 27 जुलाई (एजेंसियां) : नीति आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना हर भारतीय की महत्वाकांक्षा है और राज्य इस लक्ष्य को हासिल करने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं क्योंकि वे लोगों से सीधे जुड़े हुए हैं। मोदी नीति आयोग की नौवीं शासी परिषद की बैठक में यह कहा।

नीति आयोग की बैठक में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके नेता एमके स्टालिन के साथ-साथ केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली पंजाब और दिल्ली सरकार ने हिस्सा नहीं लिया, जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक में शामिल हुई, लेकिन बीच में ही बाहर आ गईं। उन्होंने कहा कि उन्होंने पांच मिनट बोलने के बाद रोक दिया गया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बैठक में शामिल नहीं हुए।

आयोग ने मोदी के हवाले से सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘भारत को 20247 तक विकसित राष्ट्र बनाना हर भारतीय की महत्वाकांक्षा है। राज्य इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं क्योंकि वे लोगों से सीधे जुड़े हुए हैं।” उन्होंने कहा कि यह दशक तकनीकी और भू-राजनीतिक बदलावों के साथ-साथ अवसरों का भी है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत को इन अवसरों का लाभ उठाना चाहिए और अपनी नीतियों को अंतरराष्ट्रीय निवेश के लिए अनुकूल बनाना चाहिए। यह भारत को एक विकसित देश बनाने की दिशा में प्रगति का रास्ता है।”

बैठक 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने पर केंद्रित है। इस बैठक का उद्देश्य केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच सहभागी संचालन तथा सहयोग को बढ़ावा देना, वितरण तंत्र को मजबूत करके ग्रामीण और शहरी दोनों आबादी के लिए जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है।

नीति आयोग की शीर्ष संस्था शासी परिषद में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उप राज्यपाल और कई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं। प्रधानमंत्री नीति आयोग के चेयरमैन हैं। बैठक में पिछले साल दिसंबर में आयोजित मुख्य सचिवों के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन की सिफारिशों पर भी गौर किया जाएगा।

इससे पूर्व, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके नेता एमके स्टालिन के साथ-साथ केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली पंजाब और दिल्ली सरकार बैठक में हिस्सा नहीं ले रही है, जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक में शामिल हुई, लेकिन बीच में ही बाहर आ गईं। उन्होंने कहा कि उन्होंने पांच मिनट बोलने के बाद रोक दिया गया।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने के अपने फैसले के बारे में कहा कि वह बजट में तमिलनाडु के प्रति दर्शाये गए ‘‘भेदभावपूर्ण रवैये” के कारण न्याय की मांग के साथ जन मंच पर बोलने के लिए ‘‘मजबूर” हैं।

स्टालिन ने एक बयान में कहा कि 37,000 करोड़ रुपये की आपदा राहत और चेन्नई मेट्रो रेल के दूसरे चरण के लिए निधि दिए जाने की राज्य की अपील पर ध्यान नहीं दिया गया।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ‘‘राजनीतिक मकसद से सरकार चला रही है।” स्टालिन ने कहा, ‘‘23 जुलाई को पेश किया गया बजट इसका सबूत है। हाल ही में हुए संसदीय चुनावों में विभिन्न राज्यों की जनता ने जनविरोधी भाजपा को हराया।

केंद्रीय वित्त मंत्री (निर्मला सीतारमण) द्वारा पेश किया गया बजट भाजपा का बहिष्कार करने वाले राज्यों और लोगों के खिलाफ बदले की भावना से किया गया काम लगता है।”

उन्होंने कहा, “सभी भारतीयों के कल्याण के लिए बजट बनाने के बजाय सीतारमण ने ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस) गठबंधन को वोट देने वालों से बदला लेने के लिए बजट तैयार किया है।”

स्टालिन ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार तमिलनाडु की लगातार उपेक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने सर्व शिक्षा अभियान के लिए जारी की जाने वाली धनराशि रोक रखी है।

स्टालिन ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस बात पर अड़ी हुई है कि वह एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) लागू करने पर सहमति जताने के बाद ही धनराशि जारी करेगी।

उन्होंने राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले स्टांप शुल्क में कटौती की घोषणा पर कहा कि यह कदम राज्यों से परामर्श किए बिना उठाया गया है। स्टालिन ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली ने पहले ही राज्यों से कराधान के अधिकार छीन लिए हैं।

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