हजारीबाग। राष्ट्रीय वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) एवं केंद्रीय खनन तथा ईंधन अनुसंधान संस्थान (सीआईएमएफआर) के मार्गदर्शन में भारतीय खनन उद्योग में एक अभूतपूर्व विकास हुआ है। देश में पहली बार डिजिटल तकनीक पर आधारित डोजर पुश माइनिंग तकनीक का परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया है। अडाणी नेचुरल रिसोर्सेस को झारखंड के हजारीबाग स्थित बड़कागांव में गोंडुलपारा कोयला खदान आवंटित है, जहां इस तकनीक से जल्द ही खनन कार्य शुरू होने की उम्मीद है।

खनन क्षेत्र में अग्रणी निजी कंपनी अदाणी नेचुरल रिसोर्सेज ने परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी) खदान में इस तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण बीते सप्ताह किया। यह परीक्षण खनन तकनीक में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिसमें कोयला निष्कर्षण प्रक्रिया के लिए मानवरहित मशीनों का उपयोग किया गया है। डिजिटल स्वायत्त खनन की दिशा में यह तकनीक बेहतर उत्पादन और सलामती के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

डोजर पुश माइनिंग परीक्षण में एक स्वचालित, (मानवरहित) ड्रिल मशीन द्वारा ड्रिल करके कास्ट ब्लास्टिंग किया जाता है। ब्लास्टिंग के बाद ब्लास्ट की गई सामग्री को इस प्रक्रिया के लिए विशेष रूप से डिजाइन की गई एक स्वचालित, बड़े आकार की डोजर मशीन का उपयोग करके उसे डीकोल किए गए क्षेत्र में स्थापित करते हैं। डोजर पुश माइनिंग विधि को पारंपरिक ट्रक-शॉवल खनन द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों के संभावित समाधान के रूप में देखा जा रहा है। खासकर बरसात के मौसम में जब ढुलाई वाली सड़कें कीचड़ से भर जाती हैं, जिससे सुरक्षा और उत्पादकता प्रभावित होती है।

ट्रकों और उत्खनक मशीन पर निर्भरता को कम करके यह विधि उत्खनन कार्यों को अनुकूलित कर सकती है और इकाई की लागत को कम कर सकती है, जिससे खनन के लिए अधिक टिकाऊ और कुशल दृष्टिकोण प्रदान किया जा सकता है। यही नहीं चूंकि इस तकनीक में ट्रकों का उपयोग नहीं होता है इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से भी यह डोजर पुश तकनीक पांच सितारा पीईकेबी खदान को सुरक्षा के मापदंडों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करती है।

देश में पहली बार अदाणी नेचुरल रिसोर्सेज द्वारा कोयला खनन में उपयोग में ली जा रही इस डोजर पुश तकनीक के परीक्षण की सफलता को सीएसआईआर और सीआईएमएफआर के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एमपी रॉय ने भी सराहना की और कहा कि यह नई तकनीक भारत में ओपनकास्ट खनन कार्यों में क्रांति ला सकती है। डोजर पुश माइनिंग विधि पारंपरिक ड्रैगलाइन और ट्रक-शॉवल उत्खनन का एक आधुनिक विकल्प है। यह न केवल खनन प्रक्रिया की गति और दक्षता को बढ़ाता है, बल्कि परिचालन लागत को भी कम करता है।

परीक्षण का नेतृत्व सीएसआईआर-सीआईएमएफआर के निदेशक प्रोफेसर अरविंद कुमार मिश्रा ने किया, जिसमें डॉ. एमपी रॉय, डॉ. विवेक कुमार हिमांशु, आरएस यादव, सूरज कुमार और डॉ. आशीष कुमार विश्वकर्मा का योगदान रहा, जिन्होंने पीईकेबी खदान में डोजर पुश माइनिंग तकनीक के प्रथम विस्फोट के सफल निष्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि भारत को अत्याधुनिक खनन प्रौद्योगिकियों को अपनाने में अग्रणी स्थान पर रखती है, जिसका इस क्षेत्र के भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।

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