लोहरदगा। बगडू थाना क्षेत्र अंतर्गत अरेया गांव की एक नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या करने के दोषी को जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम सह विशेष न्यायाधीश पॉस्को एक्ट अखिलेश कुमार तिवारी ने फांसी की सजा सुनाई है। अरेया निवासी आरोपित इंदर उरांव (25) को धारा 302 में दोषी पाते हुए फांसी की सजा जबकि पॉस्को एक्ट में सश्रम आजीवन कारावास (मृत्यु पर्यंत) एवं पच्चीस हजार रुपये जुर्माना की सजा दी गई है।

उल्लेखनीय है कि 24 दिसंबर, 2022 को दोपहर तीन बजे अरेया गांव में एक छोटी बच्ची सहेलियों के साथ खेल रही थी। इसी बीच इंद्र उरांव वहां पहुंचता है और छोटे-छोटे बच्चों को पांच-पांच रुपये देकर चॉकलेट खरीदने भेज देता है। एक छोटी बच्ची को 50 रुपये देकर साथ में लेकर घूमता है। जब उसकी मां बच्ची को ढूंढती है तो बच्ची नहीं मिली। मां ने इंदर उरांव से पूछा कि उसकी बच्ची कहां है तो वह घबरा गया और भागने लगा।

इस दौरान महिला ने इंदर उरांव को पकड़ लिया तो उसने हाथ छुड़ाने के उद्देश्य से उसका गला दबाकर मारने का प्रयास किया। इसी बीच गांव में भीड़ इकट्ठी हो गई तो कुछ लोगों ने कहा कि बच्ची के साथ इंदर उरांव घूम रहा था। जब ग्रामीणों ने उससे कड़ाई से पूछा तो उसने बताया कि सुजीत उरांव के घर के पीछे बच्ची से रेप करने का प्रयास कर रहा था तो वह रोने लगी, जिसके कारण डर से गला दबाकर उसकी हत्या कर दी और गेंदा फूल के पौधे से उसके शरीर पर बोरा डालकर सुला दिया ताकि किसी को कुछ पता ना चल सके। इस संबंध में बगरू थाना में उसके खिलाफ मामला दर्ज हुआ था।

न्यायालय ने पूरे मामले में सुनवाई करने के बाद दोषी को फांसी की सजा सुनाई। सरकार की तरफ से लोक अभियोजक मिनी लकड़ा ने बहस की जबकि बचाव पक्ष की ओर से नारायण साहू ने पक्ष रखा। न्यायालय के इस फैसले के बाद बच्ची के परिजनों ने कहा कि बच्ची तो अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन इस सजा से वैसे लोगों को एक सबक मिलेगा, जो इस तरह के कुकृत्य करते हैं।

उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व 2014 में लोहरदगा में एक बच्ची की हत्या के दोषी अलबेल को फांसी की सजा सुनाई गई थी।

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