नई दिल्ली। स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी की दर को मौजूदा 18 फीसदी से कम करने पर व्यापक रूप से सहमत हो गई है। लेकिन, इस पर अंतिम फैसला जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में लिया जाएगा। सूत्रों ने यह जानकारी दी। टैक्‍स दर को युक्तिसंगत बनाने की केंद्र और राज्यों के कर अधिकारियों की समिति (फिटमेंट कमेटी) ने सोमवार को जीएसटी परिषद के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की। इसमें जीवन, स्वास्थ्य और पुनर्बीमा प्रीमियम पर जीएसटी कटौती के आंकड़े और विश्लेषण दिए गए हैं। बैठक में हिस्‍सा लेने के बाद दिल्‍ली की वित्त मंत्री आतिशी ने पत्रकारों के साथ बातचीत में इस पर मुहर लगाई।


केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता और राज्य मंत्रियों की मौजूदगी वाली जीएसटी परिषद की 54वीं बैठक सोमवार शाम को संपन्‍न हुई। यह जीएसटी से जुड़े मामलों में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई है। ज्‍यादातर राज्य बीमा प्रीमियम की दरों में कटौती के पक्ष में हैं। कारण है कि मासिक जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी होने से करदाताओं के अनुकूल उपाय करने की गुंजाइश बनी हुई है। अगर जीएसटी दरें कम की जाती हैं तो यह करोड़ों पॉलिसीधारकों के लिए फायदेमंद होगा। इससे प्रीमियम राशि घट जाएगी।

इंश्‍योरेंस प्रीम‍ियम पर पहले लगता था सर्विस टैक्‍स

जीएसटी आने से पहले बीमा प्रीमियम पर सर्विस टैक्‍स लगता था। वर्ष 2017 में जीएसटी लागू होने पर सेवा कर को जीएसटी प्रणाली में शामिल कर लिया गया था।वित्त वर्ष 2023-24 में केंद्र और राज्यों ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी के जरिये 8,262.94 करोड़ रुपये जुटाए। जबकि स्वास्थ्य पुनर्बीमा प्रीमियम पर जीएसटी के रूप में 1,484.36 करोड़ रुपये वसूले गए।

संसद में उठा था बीमा प्रीमियम पर टैक्‍स लगाने का मुद्दा

बीमा प्रीमियम पर टैक्‍स लगाने का मुद्दा संसद में चर्चा के दौरान उठा था। विपक्षी सदस्यों ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने की मांग की थी। यहां तक कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस मुद्दे पर सीतारमण को पत्र लिखा था।

पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने पिछले महीने दरों को तर्कसंगत बनाने पर गठित मंत्री समूह (जीओएम) की बैठक में बीमा प्रीमियम का मुद्दा उठाया था। उसके बाद मामले को आगे के डेटा विश्लेषण के लिए ‘फिटमेंट’ समिति को भेज दिया गया था।

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