
श्रीनगर। कश्मीर में मिनी स्विटजरलैंड- बैसरन। जहां प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांच का मिलन होता है, में मंगलवार को गोलियों की गूंज के साथ चारों तरफ खून बिखरा सिर्फ इंसान का नहीं बल्कि इंसानियत और कश्मीरियत का। जहां इस्लाम के नाम पर आतंकियों ने चुन-चुन कर गैर मुस्लिमों पर ऐसे गोलियां बरसाई, जैसे कोई बच्चा अपने आंगन में खेलता है। किसी से नाम पूछा, किसी से उसका पहचानपत्र मांगा। अगर किसी को जिंदा छोड़ा तो सिर्फ अपनी आपबीती की कहानी सुनाने के लिए।
पहलगाम से लगभग पांच किलोमीटर दूर बैसरन जो ट्रैकरों को हमेशा अपनी तरफ खींचता है, जहां से तुलियां झील का रास्ता जाता है, अन्य दिनों की तरह आज भी पर्यटकों से गुलजार था। दोपहर अढ़ाई बजे के करीब कथित तौर पर तीन से चार वर्दीधारी आतंकी निकटवर्ती जंगल से बाहर निकले।
इससे पहले कोई कुछ समझ पाता उन्होंने अपना खेल शुरु कर दिया। उन्होंने वहां मौजूद पर्यटकों से उनका नाम पूछते हुए उन पर गोलियां बरसाना शुरु कर दिया। आतंकियों के जाने के बाद जब अन्य लोग मौके पर पहुंचे तो बैसरन मरघट बन चुका था। ‘ये मुस्लिम नहीं लग रहे इन्हें मार दो’ एक नवविवाहिता मैदान में खून से लथपथ पड़े अपने पति के सिर को अपनी गोद मे लिए बैठी थी। उसने जब स्थानीय लोगों को अपनी तरफ आते देखा तो एक उम्मीद में उनकी तरफ भागी। पास जाकर बोली, मेरे पति को बचा लो। उसने कहा कि मैं और मेरे पति यहां पर बैठकर भेल खा रहे थे।
इस बीच आतंकी आते हैं और कहते हैं ये मुस्लिम नहीं लग रहे, इन्हें मार दो और मेरे पति को गोली मार दी। स्थानीय लोगों ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि घबराओ मत, अब हम आ गए हैं। यह सुनने के बाद वह फिर अपने पति के पास जा पहुंची और उसे उठाने का प्रयास करने लगी। एक अन्य महिला ने रोते हुए कहा कि मेरे पति को बचा लो…वो वहां पर पड़े हैं। वहीं एक अन्य महिला अपने घायल पति को कुर्सी पर बैठाए हुए थी। उसने घोड़ेवालों को देखते ही प्लीज से बचा लो।
एक अन्य घायल महिला पर्यटक ने कहा कि जब गोलियां चली तो पूरा मैदान खाली हो गया। हमारे साथ जो घोड़े वाले थे,वह वहां से भाग निकले। हमें समझ में नहीं आ रहा था कि हम कहां जाएं। कुछ लोग जो जंगल की तरफ थे, वहीं पेड़ों में छिप गए।यहां जो भी पुरूष नजर आया आतंकियों ने उस पर गोली चलाई।
गुलजार अहमद नामक एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि मैं घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर नीचे सड़क पर अपने वाहन के पास खड़ा था। यह अढ़ाई-पौने तीन बजे का समय होगा,जब मैंने गोली की आवाज सुनी।हम सभी लोग वहां से निकल आए। मेरे साथ जो पर्यटक आए थे, उन्हें बडी मुश्किल से मैंने होटल पहुंचाया है। यहां कई लोगो को चोट पहुंची है। 25-30 लोग जख्मी हुए हैं। मुझे मरने वालों की तादाद नहीं पता है।
कश्मीर मामलो के जानकार डॉ अजय च्रंगू ने कहा कि मैं एक नवविवाहिता की तस्वीर देखी है। अपने पति का सिर गोद में रखकर बैठी है। यह कितना हृदय विदारक है। वहां जिस तरह से आतंकियों ने लोगों से उनका धर्म पूछकर कत्ल किया है, वह यह बताने के लिए काफी है कि कश्मीर में आजादी की लड़ाई कभी नहीं थी और न कभी होगी, कश्मीर मे तो इसलाम के नाम पर खूनखराबे का जिहाद है। शरियत और निजाम ए मुस्तफा के लिए ही कश्मीर में आम लोगों को कत्ल किया गया है। यह गजवा ए हिंद की विचारधारा का मामला है। इससे निपटने के लिए सख्त कार्रवाई की जरुरत है।