पटना। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य सुशील कुमार मोदी की पहचान एक जुझारू नेता के रूप में की जाती रही। 5 जनवरी 1952 को जन्मे सुशील कुमार मोदी का निधन 13 मई 2024 को हो गया। सुशील कुमार मोदी गले के कैंसर से पीड़ित थे और वह पिछले डेढ़ महीने से दिल्ली एम्स में भर्ती थे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि सुशील कुमार मोदी जेपी आंदोलन के सच्चे सिपाही थे। उप मुख्यमंत्री के तौर पर भी उन्होंने हमारे साथ काफी वक्त तक काम किया। मेरा उनके साथ व्यक्तिगत संबंध था और उनके निधन से मैं मर्माहत हूं। मैंने आज सच्चा दोस्त और कर्मठ राजनेता खो दिया है। उनके निधन से राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। ईश्वर से कामना है कि दिवंगत सुशील कुमार मोदी के परिजनों, समर्थकों और प्रशंसकों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करें।
जय और वीरू की जोड़ी थी सुशील-नीतीश की : बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मित्र मोदी के निधन से जहां पूरा बिहार दुखी है। वही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपना सबसे प्रिय मित्र और राजनीतिक राजदार सुशील कुमार मोदी को खोया है। बिहार की राजनीति में भले ही सुशील कुमार मोदी और नीतीश कुमार कुछ दिनों के लिए सत्ता और विरोधी पक्ष में तब्दील हो गए हों। लेकिन दोनों की दोस्ती में कोई दरार देखने को नहीं मिली थी। हालांकि एक दूसरे के खिलाफ राजनीतिक बयानबाजी दोनों ओर होती थी। ऐसा कहा जाता है कि 2015 में जब नीतीश कुमार ने लालू यादव के साथ मिलकर बिहार में महागठबंधन सरकार का गठन किया था। तब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री आवास में अपने कुछ विश्वसनीय मित्रों से यह कहा था कि आज उन्हें सुशील कुमार मोदी की कमी महसूस हो रही है। नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी की दोस्ती ऐसी थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सुशील मोदी पर आंख बंद कर भरोसा करते थे। नीतीश कुमार के नेतृत्व में तब चल रही एनडीए सरकार में सुशील कुमार मोदी उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री हुआ करते थे। मुख्यमंत्री साइकिल योजना और बालिकाओं के लिए पोशाक योजना जब शुरू की गई थी। तब इसके लिए पैसे कहां से आएंगे, इसकी चिंता नीतीश कुमार ने जताई थी। सूत्र बताते हैं कि तब सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि आप योजना शुरू कीजिए। इस योजना के लिए पैसे की कमी नहीं होगी। यानी जन कल्याण योजना के लिए सुशील कुमार मोदी ही बिहार सरकार में पैसों का इंतजाम किया करते थे। बतौर वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी योजना के अनुरूप बजट बनाते थे और किस सेक्टर से कितना रेवेन्यू प्राप्त किया जा सकता है, इसका खाका भी तैयार किया करते थे। जिसकी वजह से एनडीए सरकार की योजनाओं के लिए पैसों की कमी नहीं होती थी।
यह बात उन दिनों की है जब बिहार में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के गठजोड़ वाली महागठबंधन की सरकार चल रही थी। तब बीजेपी विधान मंडल के सदस्यों की एक बैठक सुशील कुमार मोदी के पोलो रोड स्थित आवास पर चल रही थी। बैठक के दौरान एक विधायक (जो फिलहाल विधायक नहीं है) ने राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को ‘ललुआ’ कहकर संबोधित किया तो सुशील कुमार मोदी ने उन विधायक को नसीहत देते हुए डांट लगाई थी। तब सुशील कुमार मोदी ने अपने विधायक को यह समझाया था कि भले ही भाजपा और राष्ट्रीय जनता दल के बीच राजनीतिक लड़ाई चल रही हो, लेकिन लालू प्रसाद यादव एक बड़े और सम्मानीय राजनीतिज्ञ हैं, इसलिए उनका नाम आदरपूर्वक लिया जाना चाहिए। सुशील कुमार मोदी ने यह भी कहा कि भले ही वह भ्रष्टाचार के आरोप में सजायाफ्ता हों या उन्होंने भ्रष्टाचार किया हो लेकिन आज भी वह वरिष्ठ राजनेताओं में से एक है। इसलिए राजनीतिक तौर पर एक दूसरे के खिलाफ बयान बाजी करने में भी इन बातों का ख्याल रखना चाहिए कि किसी तरह की भी अभद्र भाषा का प्रयोग ना हो।
लालू यादव ने जताया शोक : राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने 74 आंदोलन के छात्र नेता सह पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के निधन पर गहरी शोक संवेदना प्रकट की है। लालू प्रसाद ने कहा कि हमने एक संघर्ष और आंदोलन के साथी को खो दिया है।
शिवानंद तिवारी ने किया याद : राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि सुशील कुमार मोदी के असमय जाने से बिहार की राजनीति का एक कोना खाली हो गया है। उन्होंने कहा कि छात्र राजनीति से लेकर अब तक लगभग पचास वर्षों तक सुशील बिहार की राजनीति में एक स्तंभ की तरह खड़े रहे। इतनी लंबी पारी में सुशील जी पर कोई दाग नहीं लगा। छात्र राजनीति से लेकर अब तक हमलोगों के बीच तीखा मतभेद रहा लेकिन हमारे संबंधों में कभी कटुता नहीं रही।
एक-एक विधानसभा क्षेत्र की जानकारी उनके दिमाग में
सुशील कुमार मोदी बिहार के राजनीति में बीजेपी के लिए कितने महत्वपूर्ण थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों की स्थिति और वहां के सामाजिक समीकरण की पूरी जानकारी उनके दिमाग में फिट थी। 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान जब कार्यकतार्ओं ने टिकट के लिए अपना बायोडाटा सुशील कुमार मोदी के पास जमा कराया था तब एक बड़ा दिलचस्प वाक्या देखने को मिला। दरअसल एक कार्यकर्ता ने अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए उम्मीदवारी का दावा करते हुए बायोडाटा सुशील कुमार मोदी के सामने रखा था। तब सुशील कुमार मोदी ने बिना उसकी फाइल खोले उसके विधानसभा क्षेत्र के विषय में पूछताछ शुरू की तो उसे कार्यकर्ता को यह जानकर हैरानी हुई थी वह जिस इलाके में रहता है। उसे इलाके की स्थिति की उससे ज्यादा जानकारी सुशील कुमार मोदी के पास है।
जात-पात की राजनीति से दूर रहे सुशील कुमार मोदी
बिहार में जात आधारित राजनीति काम करती है। बिहार में यह अक्सर दिखाई देता था कि किसी जात के बड़े नेता द्वारा अपनी जात के लोगों को खास तवज्जो दी जाती थी। लेकिन सुशील कुमार मोदी उन नेताओं में से थे, जिन्होंने जात-पात को कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। वैश्य समाज से आने वाले सुशील कुमार मोदी ने कभी भी ऐसी स्थिति नहीं आने दी कि लोग कहें की वह वैश्यों को पार्टी में प्राथमिकता दे रहे हैं।
बम और गोलियों की बौछार के बीच से निकले
यह घटना 1992- 93 की है, जब पटना विश्वविद्यालय के ठीक सामने एक सड़क जिसका नाम रमना रोड है, वहां बमों के धमाके और गोलियां चलने की आवाज सुनाई देने लगी। घटनास्थल पर पता लगा कि वहां किसी व्यापारी की हत्या कर दी गई थी। उनके परिजनों से मिलने सुशील कुमार मोदी उसे इलाके से होकर गुजर रहे थे। तभी अपराधियों ने पहले उन पर बमों से हमला किया उसके बाद गोलियों की बौछार कर दी। उसे वक्त सुशील कुमार मोदी पीले रंग की वेस्पा 150 स्कूटर से चला करते थे। उनके साथ उनके बॉडीगार्ड एक रिवाल्वर लिए पीछे की सीट पर बैठा रहता था। सुशील मोदी स्कूटर से ही जब रमना रोड से निकल रहे थे तभी उनके ऊपर फायरिंग और बमो से हमला किया गया था। हालांकि इस घटना में अच्छी बात ये रहे कि सुशील कुमार मोदी को गोली नहीं लगी। लेकिन बम के दो चार स्प्रिंटर उन्हें जरूर लगे थे, जिससे घायल जरूर हो गए थे। इसके अलावा भी सुशील कुमार मोदी पर कई बार जानलेवा हमला किया गया। लाठी डंडों से पिटाई भी की गई। लेकिन सुशील कुमार मोदी ने राष्ट्रीय जनता दल और लालू यादव की सरकार के खिलाफ लड़ाई जारी रखी थी।
लालू प्रसाद यादव के भ्रष्टाचार को किया उजागर
यह कहना गलत नहीं होगा कि 15 साल तक बिहार पर काबिज लालू प्रसाद यादव की सरकार को उखाड़ फेंकने में सुशील कुमार मोदी का अहम योगदान रहा है। सुशील कुमार मोदी ने अगर ताकतवर लालू प्रसाद यादव के खिलाफ लगातार मोर्चा नहीं संभाला होता कि तो शायद ही 2005 में एनडीए की सरकार बन पाती। 2015 में जब नीतीश कुमार ने बीजेपी से अलग होकर लालू प्रसाद यादव से हाथ मिला लिया था और विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की सरकार बना ली थी। तब सुशील कुमार मोदी ही वो नेता थे जिन्होंने लगातार लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मोर्चा खोले रखा। सुशील कुमार मोदी ही वो शख्स थे जिन्होंने लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों के संपत्ति का खुलासा किया और लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री रहते किस तरह का भ्रष्टाचार किया था इसका भी खुलासा किया। सुशील कुमार मोदी के खुलासों के बाद बी लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार लैंड फॉर जॉब केस की जद में आया। इतना ही नहीं सुशील कुमार मोदी के इस खुलासे के बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरजेडी का साथ छोड़ दिया और बीजेपी के साथ मिलकर 2017 में एनडीए सरकार का गठन किया था।