
नई दिल्ली। पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग की रविवार को तियानजिन में हुई बहुप्रतीक्षित मुलाकात में दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का निष्पक्ष, न्यायसंगत और पारस्परिक तौर पर स्वीकार्य समाधान को लेकर प्रतिबद्धता जताई गई है। एक वर्ष के भीतर दुनिया के दो सबसे ज्यादा आबादी वाले और सबसे तेजी से बढ़ने वाले दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं के बीच यह दूसरी मुलाकात थी, जिसमें सीमा विवाद, दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा की शुरूआत करने, व्यापारिक संबंधों, वैश्विक मुद्दों और द्विपक्षीय हितों से जुड़े अन्य मुद्दों पर विस्तार से बात हुई। दोनों तरफ के कूटनीतिक सूत्रों ने बैठक को काफी सकारात्मक बताया। बैठक के लिए पहले 40 मिनट का समय तय था लेकिन बैठक पूरे एक घंटे चली। दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों की तरफ से जारी बयान में मोदी व चिनफिंग की मुलाकात को भारत-चीन संबंधों को नई दिशा व गति प्रदान करने वाला बताया गया है।



दोनों नेता यह मान रहे हैं कि मौजूदा वैश्विक माहौल में स्थिरता लाने के लिए भारत व चीन की भूमिका महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी जापान की यात्रा के बाद शनिवार को देर शाम तियानजिन (चीन) पहुंचे, जहां शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ है।
पीएम मोदी ने कहा कि चीन में गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए मैं आपका आभारी हूं। पिछले वर्ष कजान में हमारी मुलाकात ने हमारे संबंधों पर सकारात्मक असर डाला है। सीमा पर डिसएंगेजमेंट के बाद शांति और स्थिरता का माहौल बना हुआ है। हमारे विशेष प्रतिनिधियों (एनएसए अजीत डोभाल व विदेश मंत्री वांग यी) के बीच सीमा प्रबंधन के संबंध में सहमति बनी हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हुई है। दोनों देशों के बीच सीधी फ्लाइट भी फिर से शुरू की जा रही हैं। परस्पर विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर हम अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग ने अपने भाषण में भारत व चीन के संबंधों को सुधारने को रेखांकित करने के लिए एक बार फिर हाथी और ड्रैगन के साथ-साथ नृत्य करने की उपमा दी। पिछले दिनों जब उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पत्र लिखा था, उसमें भी इसका जिक्र था और हाल ही में विदेश मंत्री वांग यी ने अपनी भारत यात्रा के दौरान भी यहीं बात कही थी।
चीन की तरफ से जारी बयान के मुताबिक बैठक में राष्ट्रपति ने कहा कि 70 वर्ष पहले दोनों देशों के नेताओं द्वारा प्रतिपादित पंचशील सिद्धांतों को संजोना और लागू करना आवश्यक है। उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने की प्रतिबद्धता दोहराई, ताकि सीमा विवाद समग्र संबंधों को परिभाषित न करे। दोनों देशों को एक-दूसरे को प्रतिद्वंद्वी के बजाय भागीदार के रूप में देखना चाहिए। माना जा रहा है कि ट्रंप की शुल्क नीति से वैश्विक इकोनमी पर पड़ने वाले असर और इसको लेकर भारत व चीन की अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को लेकर भी इनके बीच चर्चा हुई है। मोदी ने भी इस दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए कहा कि भारत सीमा मुद्दे पर निष्पक्ष, तर्कसंगत और दोनों पक्षों के लिए स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध है। भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों नेता यह मानते हैं कि इनके बीच के मतभेदों के विवाद में नहीं बदलना चाहिए।
भारत और चीन के लोगों के बीच आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता के आधार पर एक स्थिर संबंध और सहयोग, दोनों देशों के विकास और प्रगति के लिए आवश्यक है, साथ ही 21वीं सदी में एक बहुध्रुवीय विश्व और बहुध्रुवीय एशिया के लिए भी जरुरी है।
प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय संबंधों के निरंतर विकास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने ने समग्र द्विपक्षीय संबंधों और दोनों देशों के लोगों के दीर्घकालिक हितों के राजनीतिक दृष्टिकोण से सीमा प्रश्न के निष्पक्ष, तर्कसंगत और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान के प्रति प्रतिबद्धता जताई। पीएम मोदी ने चीन के राष्ट्रपति को वर्ष 2026 में भारत में होने वाले शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति चिनफिंग को आमंत्रित किया।