
वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ को लेकर बड़ा फैसला लिया है। ट्रंप ने कहा कि बाजार में मंदी के बीच नए टैरिफ को 90 दिन तक के लिए टाल रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर अमेरिका चीन के टैरिफ में वृद्धि कर रहा है। अमेरिका ने चीन पर अब तक 125 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के 75 से अधिक देशों के लिए 90 दिनों की टैरिफ में छूट देने की भी घोषणा की है। वे भारत समेत बाकी सभी देशों को 90 दिनों के लिए ‘रेसिप्रोकल टैक्स’ से छूट देंगे । उनके अनुसार, इन देशों ने अमेरिकी वाणिज्य विभाग, ट्रेजरी और यूएसटीआर से व्यापार और मुद्रा हेरफेर जैसे मुद्दों पर बातचीत शुरू की है. इन देशों के साथ व्यापार पर अगले 90 दिनों तक सिर्फ 10% का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया जाएगा।




मस्क ने की थी टैरिफ टालने की अपील : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का अब अपने ही देश में विरोध होना शुरू हो गया है। ट्रंप के सबसे करीबी एलन मस्क ने भी ट्रंप से पारस्परिक शुल्क पर विचार करने की अपील की थी। जबकि अमेरिकी अरबपति निवेशक बिल एकमैन ने नए टैरिफ को 90 दिन तक के लिए टालने की अपील की थी।
ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी में अमेरिका का ही नुकसान
अमेरिका की टैरिफ नीति उसकी अपनी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी किसानों को पहले ही नुकसान हो चुका है और आगे चलकर महंगाई व मंदी का खतरा भी बढ़ सकता है। गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि मंदी की संभावना 35% तक बढ़ सकती है, वहीं येल विश्वविद्यालय का मानना है कि हर अमेरिकी परिवार को 3,800 डॉलर का नुकसान हो सकता है।
दुनिया भर में अमेरिका की इस नीति की निंदा हो रही है, क्योंकि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन गई है ।जर्मन मीडिया ने तो इसे ‘बुरा अमेरिका, अच्छा चीन’ तक कहा है. उनका मानना है कि दोनों देशों के रवैये का अंतर दुनिया की अर्थव्यवस्था को नए रूप में ढाल रहा है. अमेरिकी दबाव के बावजूद चीन अपने विकास पर ध्यान दे रहा है और दुनिया के साथ बेहतर रिश्तों को बढ़ावा दे रहा है।
चीन ने अमेरिका पर टैरिफ को लेकर एकतरफा कदम उठाने, संरक्षणवाद और आर्थिक दादागिरी का आरोप लगाया और टेस्ला सहित अमेरिकी कंपनियों से इस मुद्दे को हल करने के लिए ठोस कार्रवाई का आह्वान किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बीजिंग में संवाददाताओं से कहा कि अंतरराष्ट्रीय नियमों पर अमेरिका फर्स्ट को रखना वैश्विक उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला की स्थिरता को नुकसान पहुंचा रहा है। दबाव और धमकियां चीन से निपटने का तरीका नहीं हैं। चीन अपने अधिकारों और हितों की दृढता से रक्षा करेगा।