
मेसरा । एक तरफ सरकारें “नशा मुक्त भारत” का नारा बुलंद कर रही हैं,तो दूसरी ओर राजधानी अंतर्गत कांके प्रखंड का बीआईटी मेसरा क्षेत्र नशे के अंधे कुएं में लगातार धंसता जा रहा है। यहाँ कई गांवों की युवा पीढ़ी धीरे-धीरे नशीली पदार्थों की गिरफ्त में आकर अपने भविष्य को बर्बादी की ओर धकेल रही है। 12 से 20 साल के युवा नशे के आदी होते जा रहे हैं। शाम होते ही क्षेत्र की गलियों,टोला-मोहल्लों और चौराहों में नशे के दीवाने झूमते दिख जाते हैं। जबकि स्थानीय पुलिस महज बस्तियों में महुआ निर्मित शराब जप्त कर अपनी पीठ थपथपाती है। क्षेत्र में अनेक जगहों पर खुलेआम गांजा सहित अन्य मादक पदार्थ बिक रहे हैं,लेकिन पुलिस प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं है।



थाना क्षेत्र में ऐसी अनेकों जगह हैं,जहां मादक पदार्थों की खुलेआम बिक्री की जाती है। बताया जाता है कि गांवों और चौक-चौराहां में आजकल नशीली दवाएं,गांजा और प्रतिबंधित सिरप खुलेआम बिक रहे हैं। स्कूल-कॉलेज के छात्र,बेरोजगार युवा और यहां तक कि किशोर वर्ग भी इनका सेवन कर रहे हैं। सिगरेट और शराब की लत से शुरू हुआ यह सिलसिला अब जानलेवा नशों तक पहुंच गया है। स्थानीय नागरिकों की माने तो बीआईटी मोड़,विकास चौक व गेतलातू में कुछ लोग चुपचाप इन पदार्थों की बिक्री कर रहे हैं। प्रशासनिक उदासीनता: मौन समर्थन या लाचारी ! यह सवाल अब जनता के बीच गूंज रहा है क्या प्रशासन को इन धंधों की जानकारी नहीं है। हर दिन बच्चे नशीली सामग्री खरीदते नजर आते हैं,लेकिन कोई रोकने वाला नहीं। स्कूल-कॉलेज के छात्र ग्राहक बने हुए हैं,और कुछ तो खुद ‘डीलर’ बन गए हैं।
इन नशीली आदतों के कारण कई घर बर्बाद हो चुके हैं। कुछ युवाओं की अलग-अलग स्थानों से शव भी बरामद हो चुकी है। वहीं कुछ की मानसिक स्थिति खराब हो चुकी है। कई घरों में चोरी,झगड़े और सामाजिक बहिष्कार जैसी घटनाएं बढ़ गई हैं। उक्त बातें कांके प्रखंड प्रमुख सोमनाथ मुंडा ने कही,उन्होंने कहा कि जरूरत है सख्त कार्रवाई की,अब समय आ गया है कि प्रशासन इस मुद्दे पर गंभीर रुख अपनाए। नशीली सामग्री बेचने वालों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए,स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाया जाए। साथ ही समाज के लोगों को भी जागरूक होकर नशा कारोबार की सूचना प्रशासन तक पहुंचानी चाहिए। क्योंकि सवाल भविष्य का है,क्षेत्र के युवाओं को बचाना अब एक सामाजिक,प्रशासनिक और नैतिक जिम्मेदारी बन गई है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो यह इलाका नशे का अड्डा बनकर रह जाएगा और आने वाली पीढ़ियां अंधकार में खो जाएंगी।