मुंबई। रतन टाटा की दूरदर्शी सोच और समाज के प्रति उनकी संवेदनशीलता का सबसे बड़ा उदाहरण नैनो कार है। इसका विचार उन्हें तब आया जब एक दिन उन्होंने बारिश में एक बाइक पर भीगते हुए पूरे परिवार को सफर करते देखा। उस पल ने रतन टाटा को झकझोर दिया, और उन्होंने सोचा कि ऐसे परिवारों के लिए एक सुरक्षित, किफायती और चार पहियों वाली गाड़ी होनी चाहिए।
यहीं से ‘नैनो’ का विचार जन्मा—दुनिया की सबसे किफायती कार, जो उन लाखों परिवारों के लिए बनाई गई थी जो बाइक पर सफर करने को मजबूर थे। रतन टाटा का यह कदम उनके समाज के प्रति समर्पण और हर वर्ग को सशक्त बनाने की उनकी सोच का प्रतीक है। रतन टाटा ने इंजीनियर्स को बुलाया और 1 लाख रुपए में कार तैयार करने के कहा। साल 2008 में मिडिल क्लास को ध्यान में रखते हुए टाटा नैनो लॉन्च की।ये भारतीय कार इतिहास की अब तक की सबसे सस्ती कारों में से एक है। हालांकि लोगों को ये कार ज्यादा पसंद नहीं आई और साल 2020 में इसका प्रोडक्शन बंद करना पड़ा।
ऐसे बनीं देश की सबसे सस्ती कार
रतन टाटा ने एक बार मुंबई की तेज बारिश में एक परिवार के चार लोगों को बाइक पर भीगते देखा। रतन टाटा को इस सीन ने इतना परेशान किया कि अगले दिन उन्होंने इंजीनियर को बुलाकर देश की सबसे सस्ती कार बनाने को कहा। यहीं से टाटा नैनो (Tata Nano) की शुरूआत हुई। टाटा नैनो 2008 में लॉन्च हुई। हालांकि लोगों को ये कार ज्यादा पसंद नहीं आई और साल 2020 में इसका प्रोडक्श बंद करना पड़ा।
1991 में संभाला टाटा संस और टाटा ग्रुप के अध्यक्ष का पद
रतन टाटा ने 1991 में टाटा संस और टाटा ग्रुप का अध्यक्ष पद संभाला। 21 वर्षों तक उन्होंने टाटा समूह का नेतृत्व किया और इसे बुलंदियों पर पहुंचाया। उनके नेतृत्व में टेटली टी, जगुआर लैंड रोवर और कोरस का अधिग्रहण किया गया। टाटा नैनो कार भी रतन टाटा की ही अवधारणा थी। उनकी देखरेख में टाटा ग्रुप 100 से अधिक देशों में फैल गया।
बुक लवर थे रतन टाटा
रतन टाटा बुक लवर थे। उनको सक्सेस स्टोरीज पढ़ना बहुत पसंद था। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद अब वे अपने इस शौक को समय दे रहे हैं। टाटा को बचपन से ही कम बातचीत पसंद थी। कारों के बारे में पूछने पर टाटा ने बताया था कि मुझे कारों से बहुत लगाव है। उन्होंने कहा था ‘मुझे पुरानी और नई दोनों तरह की कारों का शौक है।’