
रांची। सियासत में किसी भी इंसान को सफल होना बिल्कुल आसान नहीं है, लेकिन समाज की रपटीली सड़कों पर चलकर समाज के लिए कुछ करने का जज्बा, सियासत के ऊंचे पायदान पर पहुंचा सकता है। लेकिन यह नामुमकिन बन जाती है। अगर सियासत में कोई अपना नहीं हो। रघुवर दास जिनके पूरे परिवार में कभी किसी ने सियासत का गलियारा नहीं देखा हो वैसे परिवार का एक मामूली सा लड़का आज झारखंड की राजनीति में यू कहें कि देश की राजनीति में चरम पर पहुंच गया। मेहनत मजदूरी करने वाले परिवार का एक लड़का झारखंड के सियासत में एक नया इतिहास लिख दिया। टाटा रोलिंग मिल में मजदूरी करने वाला रघुवर दास जब सियासत में अपना किस्मत आजमाने की कोशिश की तब तरक्की की सीधी राह उनके पांव के नीचे बिछती चली गई। टाटा स्टील के एक साधारण कर्मचारी से झारखंड के मुख्यमंत्री एवं ओड़िशा के राज्यपाल बनने की रघुवर दास की कहानी कम दिलचस्प, कम रोचक नहीं है।



टाटा स्टील में नौकरी करते समय 1986 की वह घटना रघुवर दास को झारखंड के सियासी पटल पर चमका दिया। उनको करीब से जानने वाले भाजपा के नेता राकेश चौधरी ने बताया की एक घटना ने उनके जीवन का सारा उद्देश्य ही बदल दिया। उस घटना के बाद ही रघुवर दास जमशेदपुर में एक चर्चित चेहरा बन गए । यह घटना थी टाटा कंपनी में 86 बस्तियों के लोगों को मालिकाना हक दिलाने का। रघुवर दास के प्रयास के कारण ही घर बचे और रघुवर दास जमशेदपुर का हीरो बन गये ।
1995 में रिकॉर्ड मतों से जमशेपुर पूर्वी से विधायक बने : रघुवर दास को अपने परिवार में आय का स्रोत कम होने के कारण बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन कहते हैं ना कि गरीब जन्म लेना कोई गुनाह नहीं है लेकिन मरना बहुत बड़ा अपराध है रघुवर दास ने अपने बचपन में जिन अभाव को दिखा लेकिन जवानी आते आते पूरी तरीके से प्रभावशाली बने । जेपी आंदोलन में रघुवर दास जेल भी गए, लेकिन जब वापस आए तो झारखंड के राजनीति ने दिल खोलकर , बाँह फैलाकर उनका स्वागत किया। 1995 में जब भाजपा के वरिष्ठ नेता गोविंदाचार्य ने रघुवर दास पर विश्वास जताया तो उन्होंने पूरे सूद समेत उन्हें वापस किया। जमशेदपुर पूर्वी से रिकॉर्ड मत से जीत हासिल कर विधायक बने।
लगातार पांच बार विधायक बने : उनकी लोकप्रियता ऐसी थी कि वह इस सीट से लगातार पांच बार विधायक बने। मंत्री उपमुख्यमंत्री मुख्यमंत्री जैसे कई पद की जिम्मेवारी रघुवर दास ने संभाली।
झारखंड के पहली बार गैर आदिवसी सीएम बने : आदिवासी बहुल झारखंड में गैर आदिवासी का मुख्यमंत्री बनना – रघुवर दास की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि उन्होंने आदिवासी एवं गैरआदिवासी धर्म के सभी लोगों को साथ लेकर चला यही कारण है कि झारखंड के इस आदिवासी बहुल क्षेत्र में भी पहले गैरआदिवासी मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ रघुवर दास ने मुख्यमंत्री बनने के साथ कई कल्याणकारी योजनाओं का निर्वहन किया । भूगोल क्षेत्र में उग्रवादियों का खात्मा एवं उन्हें मुख्यधारा में लाने की कोशिश रघुवर दास की रही। रघुवर दास के समय ही झारखंड विधानसभा के नए भवन की नीव रखी गई।
महिलाओं को स्वावलंबी बनाया : महिलाओं के हाथ को मजबूत करना- जहां हर पार्टी हर दल महिलाओं को पैसे देकर के उन्हें स्वालंबित करना चाहता है ऐसा एक सपना रघुवर दास ने भी देखा था जब उन्होंने मात्र एक रुपये में महिलाओं के नाम से रजिस्ट्री की योजना शुरू की थी इस योजना के कारण लगभग डेढ़ से पौने दो लाख महिलाओं को फायदा हुआ। आज जब कोई राजनीतिक दल के नेता मंत्री सड़क से गुजरते हैं तो पूरा सड़क बंद हो जाता है हूटर लोगों को परेशान करता है ऐसे में रघुवर दास ने मंत्री बनने के साथ ही वादा किया था किसी भी तरह से जब उनका काफिला चलेगा तो कोई तरीका की बंदी नहीं होगी यहां तक कि वह अपने काफिले में बहुत लंबी चौड़े गाड़ियां भी नहीं रखते थे।
लोग चपरासी की नौकरी नहीं छोड़ते हैं, राज्यपाल पद से दिया इस्तीफा : रघुवर जब उड़ीसा के राज्यपाल बनाए गए तो लगा कि अब रिटायर होने जा रहे हैं अब वह एक शानदार जीवन व्यतीत करेंगे लेकिन कहते हैं ना जिन्हें सड़क पर चलना है जिन्हें आवाम के लिए कुछ करना है राजनीति में अपनी जनता के लिए एक अच्छा जीवन देने की कोशिश करें वह कहां महल में जाकर बसेंगे रघुवर दास ने इस्तीफा दिया और वह भी तब जब उन्हें पता है कि झारखंड में उन्हें विपक्ष के रूप में बैठना होगा उन्हें लाठियां खानी होगी आंसू के गोले उनके उनके ऊपर छोड़ जाएंगे लेकिन कार्यकर्ता बनकर वापस अपने जीवन के अपने राजनीतिक कैरियर की दूसरी पारी खेलने को तैयार है । 10 जनवरी को रघुवर दास भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे की और उसके बाद उनके जीवन का एक नया अध्याय प्रारम्भ होगा।
– Subodh Choudhary