पटना : भाजपा नेता राधामोहन सिंह पूर्वी चंपारण से लगातार चौथी बार और रिकॉर्ड 7वीं बार सांसद बने हैं, लेकिन 2019 में जहां वे 2 लाख 93 हजार से ज्यादा मतों से चुनाव जीते थे, वहीं इस बार उन्हें 88 हजार वोटों से जीत मिली। खैर जीत तो जीत होती है।
पूरे चुनाव के दौरान राधामोहन सिंह को लेकर पूर्वी चंपारण में नाराजगी के स्वर उभर रहे थे। माहौल महागठबंधन (वीआईपी) के प्रत्याशी डॉ राजेश कुमार कुशवाहा के पक्ष में ज्यादा लग रहा था, लेकिन राधा मोहन सिंह का सॉफ्ट स्पोकेन होना, उनके काम की कमियों पर भी भारी पड़ा।
ऊपर से चुनाव से सप्ताह भर पहले डॉ राजेश कुमार का एक पुराना वीडियो वायरल हुआ/कराया गया, जिसमें केसर बाबा (महादेव) को लेकर उनके मुख से कुछ आपत्तिजनक शब्द निकल जाता है। यह वीडियो 2020 के आसपास का था, जब वह केसरिया के विधायक थे।
इस वीडियो और 2019 में कांग्रेस उम्मीदवार अखिलेश सिंह को ठीक से साथ न देने की वजह से 2020 में राजद से उनका टिकट तक कट गया था। उस वीडियो ने 2024 में माहौल एकाएक से पलट दिया। खासकर जिस संख्या में वैश्य मतदाताओं के वोट की उम्मीद डॉ राजेश को थी, वह जाती रही। इसके साथ मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी का चुनाव चिन्ह नौका हुआ करता था, उसे चुनाव आयोग द्वारा छीन कर लेडी पर्स दे दिया गया था।
चुनाव के बाद ऐसी बातें सामने आयीं कि बड़ी संख्या में सहनी मतदाता को लेडी पर्स छाप बुझाया ही नहीं। इन सब बातों से इतर राधामोहन सिंह ने इमोशनल कैंपेन शुरू किया कि मेरा तो अंतिम चुनाव है। उन्होंने अच्छी पकड़ वाले लोगों से खुद संपर्क साधना शुरू किया।
जो नाराज थे, उनको भी फोन किया। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि राधा बाबू को ठीकठाक वोट मुस्लिमों के भी मिले हैं। इनके इतर मोदी जी के नाम पर पड़ने वाले मतों ने राधामोहन सिंह को जीत दिला दी। डॉ राजेश कुमार पूर्वी चंपारण के हरसिद्धि विधानसभा को छोड़ कहीं लीड न ले सके।
इसके अलावा राजद की टिकट पर 2020 में केसरिया से विधानसभा चुनाव लड़े संतोष कुशवाहा को चुनाव से पहले भाजपा में शामिल कराया गया। चूंकि, 2020 में टिकट कटने के बाद यह निर्दलीय लड़ गये थे और 17 हजार से ज्यादा वोट लाकर संतोष कुशवाहा की हार का कारण बने थे। ऐसे में संतोष कुशवाहा ने भी 2020 का बदला पूरा किया।
यह भी वजह रही कि केसरिया में भी डॉ राजेश पिछड़ गये। इस रिजल्ट से यह सबक मिलता है कि विधायक/सांसद रहते काम तो करें ही, अगर किसी वजह से न भी कर सकें तो लोगों से व्यवहार अच्छे रखें, विवादों में पड़ने से बचें, धार्मिक भावनाओं का ख्याल रखें और उनका सम्मान करें। ये भी कुछ कारण रहे, जिसकी वजह से डॉ राजेश कुमार मजबूती से चुनाव तो लड़े, पर जीत हासिल न कर सके।