पटना । लालू यादव की पार्टी आरजेडी के करीब 4 लाख कार्यकर्ताओं का डेटा लीक हो गई। इसमें उनके नाम, पते, उम्र, मोबाइल नंबर और राजनीतिक क्षेत्र जैसी निजी जानकारियां शामिल हैं। ये जानकारी कैसे लीक हुई, किसने की और क्यों की, पार्टी स्तर पर इसकी जांच की जा रही है। जानकारी के अनुसार, आरजेडी के करीब 4 लाख सक्रिय सदस्यों का पूरा डेटा पार्टी कार्यालय के कंप्यूटर में मौजूद था। इसमें राज्य के सभी पंचायतों के नेताओं की पूरी जानकारी दर्ज थी। लेकिन, कहा जा रहा है कि यह सारा डेटा जनसुराज पार्टी के कुछ लोगों तक पहुंच गया है। अब यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि यह डेटा किसके जरिए लीक हुआ। क्या पार्टी कार्यालय में कंप्यूटर चलाने वाला कोई व्यक्ति, सोशल मीडिया प्रभारी या फिर मुख्यालय का कोई जिम्मेदार व्यक्ति इसमें शामिल है? सभी के संपर्कों की जांच की जा रही है।
पार्टी स्तर पर जांच शुरू : इधर पार्टी ने इस डेटा लीक की जांच शुरू कर दी है। प्रदेश कार्यालय और तेजस्वी यादव के पुराने सरकारी कार्यालय और 5 देशरत्न मार्ग, इन दोनों जगहों से कैसे और किसने डेटा लीक किया, इसकी जांच हो रही है। किसके साथ और किन शर्तों पर यह डेटा लीक हुआ, यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है। पार्टी के अंदर इस मामले ने हड़कंप मचा दिया है।
इस मसले पर कोई भी नेता खुलकर बात नहीं करना चाहता। अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसको देखते हुए राजद नेतृत्व ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और जांच शुरू कर दी है। मिली जानकारी के मुताबिक, आरजेडी नेताओं के मोबाइल नंबर पर उनके पूरे पते और उम्र समेत पूरी जानकारी के साथ जनसुराज पार्टी की तरफ से फोन आ रहे हैं।
बताया जा रहा है कि जब अधिकतर आरजेडी नेताओं के पास ऐसे फोन आने लगे तब उन्हें ‘डाटा लीक’ का अंदाजा हुआ। पटना, समस्तीपुर, भागलपुर, आरा, अररिया जैसे कई जिलों से आरजेडी नेतृत्व को अपने नेताओं से लगातार यह शिकायत मिल रही है। उन्हें जन सुराज पार्टी की तरफ से कई तरह के प्रस्ताव दिए जा रहे हैं।
जगदानंद ने तो पहले ही किया था अलर्ट : जन सुराज पार्टी के गठन के समय ही प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने आरजेडी के नेता-कार्यकतार्ओं के जन सुराज पार्टी में शामिल होने को चिंता का विषय बताया था। उन्होंने राजद नेताओं से साफ तौर पर कहा था कि वे बहकावे में न आएं। जन सुराज में सदस्य और सहयोगी नहीं बने, दल विरोधी काम न करें।