
रांची। बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान, मेसरा और भारतीय एरोनॉटिकल सोसाइटी के सीएफडी डिवीजन ने रविवार को को एईएसआई सीएफडी की वार्षिक संगोष्ठी का आयोजन किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. एस सोमनाथ, संस्थान के कुलपति प्रोफेसर इंद्रनील मन्ना, एईएसआई सीएफडी डिवीजन के उपाध्यक्ष सत्य प्रकाश, और एईएसआई सीएफडी के अध्यक्ष डॉ. प्रियांक कुमार थे।



डॉ. प्रियांक कुमार ने सभी का स्वागत किया। इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में शामिल सभी लोगों के प्रयासों को सराहा। उन्होंने कम्प्यूटेशनल फ्लुइड डायनेमिक्स में नए विचारों को देखने की भी इच्छा जाहिर की।
प्रोफेसर इंद्रनील मन्ना ने बताया कि कैसे इसरो की सफलता ने पूरे भारत को गौरवान्वित किया है। कैसे इसने भारतीयों को महान ऊंचाईयों को प्राप्त करने का दृढ़ विश्वास दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्यक्रम को हमें स्व-आकलन के लिए समर्पित करना चाहिए, ताकि हम समझ सके कि आखिर हम कहा खड़े हैं।
डॉ. एस. सोमनाथ ने उनके सामने आने वाली अनेक चुनौतियों का वर्णन किया। उनसे निपटने के लिए उनके द्वारा किए जाने वाले अध्ययनों का भी जिÞक्र किया। उन्होंने यह भी कामना की कि आने वाले दिनों में भारत अलग-अलग इंजनों के साथ चंद्रमा पर फिर से लैंडिंग करेगा।
इसके बाद स्मारिका सार की ई-बुक का विमोचन हुआ। स्थानीय आयोजन समिति की सदस्य डॉ. शैली बिस्वास ने धन्यवाद दिया।
आईआईएससी बैंगलोर के ऊर्जा अनुसंधान के लिए अंतरविष्य केंद्र और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. प्रदीप दत्ता ने अंतरिक्ष यान प्रणालियों के लिए निष्क्रिय थर्मल प्रबंधन पर एक प्रस्तुति दी। इस सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर इंद्रनील मन्ना ने की।
सत्र के अंत में एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (बैंगलोर) के अतिथि वक्ता डी. नारायण ने ह्यस्टोर ट्रैजेक्टरी एनालिसिस एट एडीए- पिट ड्रॉप टू फ्लाइट टेस्ट पर बात की। उन्होंने अलग-अलग सीएफडी तकनीकों की बात की, जो कि सुरक्षित पृथक्करण का अनुमान कर अंतत: हमारा समय और धन दोनो ही बचाने की क्षमता रखते है। इस सत्र की अध्यक्षता आईआईटी मद्रास के एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. शांतनु घोष ने की।