
नई दिल्ली। इजरायल ने ईरान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। गुरुवार देर रात इजरायली सेना (IDF) ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए। इजरायल ने इस कार्रवाई को ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ (Operation Rising Lion) नाम दिया। इस हमले में ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी और ईरान के Revolutionary Guards के चीफ कमांडर हुसैन सलामी की मौत हो गई है। इतना ही नहीं देश के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई (Ayatullah Al Khomeini) के करीबी अली शामखानी और आईआरजीसी की एयरफोर्स के कमांडर आमिर अली हाजीजादेह जैसे बड़े अधिकारियों ने भी अपनी जान गंवा दी।



इजरायल का उद्देश्य ईरान में मौजूद परमाणु संयंत्र को तबाह करना था। IDF ने पूरी तैयारी के साथ अपने मिशन को अंजाम दिया। इजरायली सेना ने शिराज, तबरीज और नतांज में मौजूद न्यूक्लियर साइट पर बमबारी की। इन हमलों में ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिकों की भी मौत हो हई।
ईरान के लिए कितना अहम था नतांज शहर : इजरायल ने दावा किया कि ईरान के प्रमुख परमाणु साइट नतांज को भारी नुकसान पहुंचा है। नतांज वो जगह है, जहां ईरान यूरेनियम एनरिचमेंट कर रहा था। यूरेनियम को इनरिच करने के बाद ही इससे परमाणु बम बनाया जाता है।
इजरायल के हमले से दहल उठा ईरान : ईरान की ओर से सैन्य कार्रवाई के लिए भी इजरायल पूरी तरह तैयार था। एक तरफ जहां इजरायली सेना ईरान के परमाणु ठिकानों को तबाह कर रही थी, दूसरी तरफ इजरायल, ईरान में सतह से हवा में मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को टारगेट कर रहा था। ईरान जब तक इजरायल के हमलों का जवाब देता तब तक उसके भारी नुकसान पहुंच चुका था।
इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए मोसाद ने तीन वर्षों की तैयारी की थी। वहीं, तीन चरणों में इस मिशन को अंजाम दिया गया। मोसाद के एजेंटों ने तेहरान के अंदर ही एक छिपी हुई ड्रोन निमार्ण/ स्टॉकिंग साइट स्थापित की थी। यहीं पर इजरायल ने छोटे विस्फोटक ड्रोन बनाए और कई महीनों तक छुपकर इन्हें हमले के लिए डिजाइन किया।मोसाद ने ईरान में रणनीतिक रूप से जरूरी इलाकों जैसे एअर-डिफेंस सिस्टम्स, सेम बैटरियां और मिसाइल लॉन्चर बेस के नजदीक ड्रोन की डिप्लोय किया।
जब इजरायली लड़ाकू विमानों ने हमला शुरू किया, तो पहले से मौजूद ड्रोन से रडार और लॉन्चर नष्ट किए।
इन हथियारों का किया इस्तेमाल : ईरान पर कार्रवाई करते हुए इजरायली एअर फोर्स ने 330 से अधिक प्रिसिजन बम छोड़े, जो कि 5,000 – पाउंड वजन के श्रेणी में आते हैं। इस हमले का लक्ष्य एअर डिफेंस रडार और मिसाइल फेसिलिटीज को नष्ट करना था। इस हमले में अमेरिकी स्टेल्थ फाइटर जेट एफ-35 के इजरायली वर्जन का भी इस्तेमाल हुआ। कार्रवाई के कुछ घंटों के बाद ईरान ने इजरायल पर 100 से ज्यादा ड्रोन से हमले किए, लेकिन इजराइल के एअर डिफेंस ने सभी ड्रोन को आसमान में ही मार गिराया। ईरान की जवाबी कार्रवाई पूरी तरह विफल साबित हुई। दरअसल, ईरान ने हमले के लिए शाहेद ड्रोन को चुना। शाहेद को ‘सुसाइड ड्रोन’ की तरह डिजाइन किया गया है। यह खुद को लक्ष्य से टकराकर विस्फोट करता है। ईरान ने रूस को भी शाहेद ड्रोन सप्लाई किया है। सबसे बड़ी बात है कि इस ड्रोन की लागत काफी कम है। यही वजह है कि स्वार्म यानी इस ड्रोन से झुंड में हमला किया जाता है।