रांची। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत में उषा मार्टिन कंपनी को अवैध तरीके से आवंटित खदान मामले में चार्जशीटेड तत्कालीन खनन निदेशक इंद्र देव पासवान ने गुरुवार को सरेंडर कर दिया है। आरोपित ने सरेंडर के साथ जमानत याचिका भी दाखिल की। इस पर सुनवाई के बाद अदालत ने सशर्त जमानत की सुविधा प्रदान कर दी है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विद्युत चौरसिया ने जमानत याचिका पर बहस की। अदालत ने उन्हें 50-50 हजार रुपये के दो निजी मुचलके और पासपोर्ट जमा करने की शर्त पर जमानत की सुविधा प्रदान की है। उन पर साल 2005 में उषा मार्टिन को माइंस आवंटन कराने में भ्रष्टाचार का आरोप है। भ्रष्टाचार मामले को लेकर सीबीआई ने सितंबर 2016 में मेसर्स उषा मार्टिन लिमिटेड, कंपनी के निदेशक इंद्र देव पासवान, तत्कालीन खान सचिव अरुण सिंह सहित अन्य पर जांच पूरी करते हुए जनवरी 2023 में चार्जशीट दाखिल की थी। इसी मामले में हाल में ही सीबीआई कोर्ट ने संज्ञान लिया है।
उषा मार्टिन कंपनी को 2005 में पश्चिमी सिंहभूम जिले के घाटकुरी में एक लौह अयस्क खदान आवंटित की गयी थी। इसमें कथित रूप से भ्रष्टाचार हुआ था। आईएएस अरुण कुमार सिंह उस वक्त खनन विभाग के सचिव थे और इंद्रदेव पासवान खनन निदेशक थे। सीबीआई ने कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सितंबर 2016 में प्राथमिकी दर्ज की थी। प्राथमिकी में उषा मार्टिन के प्रमोटरों और खनन विभाग के अधिकारियों को आरोपित बनाया गया था। प्राथमिकी में कहा गया था कि खदान के आवंटन के लिए केंद्र सरकार को जो सिफारिश भेजी गयी थी, उसमें राज्य सरकार की तरफ से अधिकारियों ने कथित रूप से उषा मार्टिन के पक्ष में पक्षपात किया था। कंपनी ने कथित तौर पर वादा किया था कि वह हाट गम्हरिया में स्थित अपने इस्पात संयंत्र में लौह अयस्क का उपयोग करेगी। कंपनी ने राज्य सरकार को एक अंडरटैकिंग भी दिया था। सीबीआई ने आरोप लगाया कि कंपनी बाद में यह कहते हुए इस बात से मुकर गयी कि कैबिनेट नोट में इसका कोई विशेष जिक्र नहीं था।