नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में संविधान पर हुई चर्चा में कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कभी भी संविधान और संविधान निर्माता डॉ भीमराव अम्बेडकर का सम्मान नहीं किया और साथ ही आरक्षण एवं धर्मनिरपेक्षता का ही सम्मान रखा। पार्टी ने संविधान को भी अपनी जागीर समझा और आज केवल वोट पाने के लिए संविधान लहराती है और आरक्षण की बात करती है।
संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा के तहत सोमवार और मंगलवार को राज्यसभा में चर्चा हुई। इस चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि कांग्रेस पार्टी ने देश में 55 साल राज किया और 77 संविधान संशोधन किये जबकि भारतीय जनता पार्टी ने 16 साल राज किया और 22 बार संविधान को संशोधित किया। कांग्रेस का जहां संविधान संशोधन के पीछे उद्देश्य अपनी सत्ता और वोट बैंक को बचाना था वहीं भारतीय जनता पार्टी का उद्देश्य एकता बढ़ाना और पिछड़ों को आगे लाना रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश के विकास का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “स्वामी विवेकानंद जी और महर्षि अरविंद जी की भविष्यवाणी आज सच हो रही हैं। भारत माता अपने दिव्यमान और ओजस्वी स्वरूप में खड़ी हैं और पूरी दुनिया उसकी अद्भुत शक्ति एवं प्रगति को देखकर चकित रह गई है।”
गृह मंत्री ने इस दौरान कांग्रेस की ओर से लाए गए कुछ संविधान संशोधनों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इसमें अभिव्यक्ति की आजादी छीनी गई। प्रधानमंत्री को न्यायिक जांच से बाहर किया गया, देश की विधानसभा का कार्यकाल 5 से 6 साल किया गया और राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाई गई। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने अपने संविधान संशोधनों में वस्तु एवं सेवा कर लाए, पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया, ओबीसी से जुड़े अधिकार राज्यों को दिए गए और मातृशक्ति को आरक्षण देने का काम किया गया।
उन्होंने कहा कि संविधान लहराने का विषय नहीं बल्कि सम्मान का विषय है और नरेंद्र मोदी ने संविधान का सम्मान किया है। इंदिरा गांधी और कांग्रेस ने संविधान पर कुठारागत किया। उन्होंने कहा, “संविधान को लहराकर और झूठ बोलकर कुत्सित प्रयास कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने किया। संविधान लहराने और बहकाने का मुद्दा नहीं है, संविधान विश्वास है, संविधान श्रद्धा है।”
संविधान को परिवर्तनशील बताते हुए शाह ने राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ देश भी बदलना चाहिए, कानून भी बदलने चाहिए और समाज को भी बदलना चाहिए। परिवर्तन ही जीवन का मंत्र है। इसको हमारे संविधान सभी ने स्वीकार किया था। इसलिए अनुच्छेद 368 में संविधान संशोधन के लिए प्रावधान किया गया था। “अभी कुछ राजनेता आए हैं और 54 साल की आयु में अपने आप को युवा कहते हैं और घूमते रहते हैं कि संविधान बदल देंगे, संविधान बदल देंगे। मैं उनको कहना चाहता हूं कि संविधान के प्रावधानों को बदलने का प्रोविजन आर्टिकल 368 के अंदर संविधान में ही है।”
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने देश की भौगोलिक रूपरेखा से जुड़े संविधान के आर्टिकल एक में संशोधन किए बिना ही एक समझौते के तहत कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया। दोनों सदनों में चर्चा किये बिना और अनुमति लिए बगैर ही राष्ट्रपति के ऑर्डर के माध्यम से संविधान में 35ए को जोड़ दिया। कांग्रेस ने संविधान को निजी जागीदारी समझा है।
गृह मंत्री ने इंडिया और भारत को लेकर संविधान सभा में हुई चर्चा का भी उल्लेख किया और कहा कि यूरोपीय चश्मे से देखकर इंडिया नाम को स्वीकारा गया। उन्होंने कहा कि इंडिया के चश्मे से देखोगे तो देश समझ में नहीं आएगा। इसीलिए विपक्ष ने गठबंधन का नाम इंडिया रखा है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी विकास और विरासत को एक साथ लेकर चल रहे हैं।
उन्होंने राजपथ को कर्तव्य पथ किए जाने, इंडिया गेट पर सुभाषचन्द्र बोस की मूर्ति लगाए जाने, जनजातीय गौरव दिवस, युद्ध स्मारक, लोकसभा में सेंगोल स्थापित किए जाने, अंडमान निकोबार द्वीप समूह के द्वीपों के नाम बदले जाने और विदेश गई मूर्तियों को वापस लाने जैस मोदी सरकार के कार्यों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हम नई शिक्षा नीति लेकर आए जिसमें प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जाती है और अब मातृभाषा में ही एग्जाम भी करा रहे हैं।
गृह मंत्री ने आरक्षण के मुद्दे पर भी कांग्रेस पार्टी को घेरा और कहा कि कांग्रेस ने कभी भी पिछड़े वर्गों को दिए जाने वाले आरक्षण का समर्थन नहीं किया। 1955 की काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट को कैबिनेट और संसद की बजाय पुस्तकालय में रख दिया। 1980 में बने मंडल कमीशन की रिपोर्ट को कांग्रेस की सरकार जाने के बाद ही स्वीकार गया। स्वयं राजीव गांधी कहते थे कि आरक्षण लागू करने से योग्यता का अभाव होगा।
उन्होंने राहुल गांधी के आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से बढ़ाने से जुड़े बयानों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इसका मकसद पिछड़ों को आरक्षण देने की बजाय मुसलमान को धर्म के आधार पर आरक्षण देना है। उन्होंने कहा कि भाजपा का अगर एक भी सदस्य दोनों सदन में है तो वे धर्म के आधार पर आरक्षण लागू नहीं होने देगा।
अमित शाह ने पंथनिरपेक्षता की बात करते हुए समान आचार संहिता का विषय भी उठाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी तुष्टीकरण के लिए पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड लाई और बाद में हिंदू कोड बिल लाई। मुस्लिम पर्सनल लॉ जहां उनकी परंपराओं पर आधारित था, वहीं हिंदू कोड बिल को परंपराओं की बजाय सामान्य व्यवस्था के तहत लाया गया।
भारतीय जनता पार्टी की देशभर में समान आचार संहिता लागू करने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए गृह मंत्री ने कहा कि फिलहाल उत्तराखंड सरकार मॉडल कानून लाई है। इसकी मीमांसा होने के बाद धीरे-धीरे हर राज्य में भारतीय जनता पार्टी यह कानून लाएगी। उन्होंने कहा कि वोटबैंक की राजनीति करके मुस्लिम बहनों के साथ इतने दिनों तक अन्याय करने का काम कांग्रेस पार्टी ने किया है। हमने तो ट्रिपल तलाक समाप्त करके मुस्लिम माताओं-बहनों को अधिकार दिया।
अंबेडकर के मुद्दे पर शाह ने कांग्रेस पर टिप्पणी की कि ‘जिसका विरोध करते रहे हो, अब उसी के नाम का वोट के लिए प्रयोग करते हो’। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने अंबेडकर की विरासत को सम्मान दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में मऊ, लंदन, नागपुर, दिल्ली, मुंबई जैसे स्थानों पर अंबेडकर स्मारक बने। उनकी जन्म जयंती 14 अप्रैल को हमारे ही कार्यकाल में राष्ट्रीय समरसता दिवस मनाया जाता है।
अपने भाषण की शुरुआत में उन्होंने संविधान के गौरवशाली यात्रा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग भारत में लोकतंत्र की सफलता पर संशय करते थे लेकिन आज 75 साल हो गए। हमारे आसपास भी कई देश स्वतंत्र हुए और नई शुरुआत हुई लेकिन वहां कई बार लोकतंत्र सफल नहीं हुआ। हमारा लोकतंत्र आज पाताल तक गहरा पहुंचा है। अनेक तानाशाहों के अहंकार को चूर-चूर करने का काम लोकतांत्रिक तरीके से इस देश की जनता ने किया है।