पटना । बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सरकारी आवास पर हुई एनडीए की बैठक में टारगेट युद्ध की शुरुआत हो गई। यह शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वयं की। इस बैठक के बाद दो संशय पर से भी पर्दा उठ गया। इधर, कुछ दिनों से एनडीए के दलों के बीच अफवाह का बाजार गरम था। इस बैठक में जो भी चुनावी स्वरूप तैयार किए गए हैं उसका लिटमस टेस्ट राज्य में हो रहे रामगढ़, तरारी, इमामगंज और बेलागंज विधान सभा के चुनाव में कर लिया जाएगा।
एनडीए की बैठक संपन्न होने के बाद जिन दो संशय से वरीय नेता जूझ रहे थे, उनका निदान इस बैठक में निकल गया। पहला तो यह कि राजद के वरीय नेताओं की ओर से लगातार इस बात को राजनीतिक गलियारों में लाया जा रहा था कि नीतीश कुमार देशद्रोही पार्टी के साथ चुनाव नहीं लड़ेंगे और अंतरात्मा की आवाज पर महागठबंधन से चुनाव लड़ेंगे। आज इस संशय से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद पर्दा उठाया और कहा कि आगामी विधान सभा चुनाव 2025 एनडीए की छतरी के तले लड़ेंगे।
दूसरा संशय यह था कि जिस तरह से भाजपा के वरीय नेता केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, विधायक हरि भूषण बचौल, श्रम मंत्री संतोष सिंह और हरि सहनी जैसे वरीय नेता कट्टर हिंदुत्व का राग अलाप के नीतीश कुमार के सेक्युलरिज्म पर सवाल उठा गए उससे यह चर्चा भी शुरू हो गई कि क्या भाजपा हरियाणा की राह पर चल पड़ी है। पर इसका जवाब भी एनडीए की बैठक में खुद नीतीश कुमार ने ही दे दिया।
हालांकि राजनीति गलियारे में यह बात पहले भी हो रही थी कि 2025 के विधान सभा चुनाव में 2010 का रेकॉर्ड तोड़ा जाएगा। इस बात की चर्चा नीतीश कुमार ने जदयू की बैठक में भी की थी। हालांकि एनडीए की बैठक के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने खुद मीडिया से कहा कि 2025 का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जायेगा। 2010 से अधिक विधान सभा सीटें जितने का लक्ष्य निर्धारित भी किया गया। 2025 के विधान सभा चुनाव का लक्ष्य इस बार 220 सीटों पर जीतने का लक्ष्य रखा गया है।
चुनाव में संगठन के इस्तेमाल को लेकर भी चर्चा हुई। तय यह किया गया कि हर पंचायत पर एनडीए कार्यकर्ताओं की बैठक होगी। इस बैठक का मूल स्वर होगा वोटरों को कैसे बूथ तक पहुंचाया जाए। इसका लिटमस टेस्ट बिहार में हो रहे रामगढ़, तरारी, बेलागंज और इमामगंज विधान सभा उप चुनाव में आजमाया जाएगा।