नयी दिल्ली: कांग्रेस ने झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में रेल हादसे के बाद मंगलवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नये भारत’’ में कोई जवाबदेही तय नहीं होती, किसी का इस्तीफा नहीं होता और सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, जिनका कोई मतलब नहीं होता।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह कटाक्ष भी किया कि एक के एक बाद रेल हादसों के बावजूद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की ‘पीआर मशीन’ जारी है। झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में मंगलवार तड़के मुंबई-हावड़ा मेल के कम से कम 18 डिब्बे पटरी से उतर जाने के कारण दो लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य लोग घायल हो गए।
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘एक और रेल दुर्घटना। लेकिन फेल मंत्री की ‘‘पीआर मशीन’’ जारी है। अकेले जून और जुलाई 2024 में ‘असफल मंत्री’ के तहत तीन दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें कुल मिलाकर 17 भारतीय नागरिकों की जान चली गई और 100 लोग घायल हो गए।’’
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ट्रेन दुर्घटनाएं मोदी के नये भारत में हर हफ्ते घटित होने वाली एक वास्तविकता बन गई हैं। 18 जुलाई को उत्तर प्रदेश के गोंडा में चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से चार लोगों की मौत हो गई थी और 31 अन्य घायल हो गए थी।’’
उन्होंने इस बात का उल्लेख किया, ‘‘19 जुलाई को गुजरात के वलसाड में मालगाड़ी पटरी से उतर गई। 20 जुलाई को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में मालगाड़ी के 12 डिब्बे पटरी से उतर गए। 21 जुलाई को राजस्थान के अलवर में मालगाड़ी के 3 डिब्बे पटरी से उतर गए। 21 जुलाई को पश्चिम बंगाल के राणाघाट में मालगाड़ी पटरी से उतर गई।’’
खेड़ा के अनुसार, ‘‘26 जुलाई को ओडिशा के भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ी पटरी से उतर गई। 29 जुलाई को बिहार के समस्तीपुर में बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस अन्य डिब्बों से अलग हो गई। 30 जुलाई को झारखंड के चक्रधरपुर में हावड़ा-सीएसएमटी एक्सप्रेस ट्रेन के कई डिब्बे पटरी से उतर गए, जिससे उसमें सवार दो लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हुए।’’
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘अब नतीजा यह होगा कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव शाम तक अपनी ‘पीआर टीम’ के साथ साइट का दौरा करेंगे और कल तक एक ‘रील’ अपलोड करेंगे।’’
कांग्रेस नेता नै आरोप लगाया, ‘‘मोदी के नये भारत में कोई जवाबदेही नहीं है, कोई इस्तीफा नहीं है, केवल अप्रासंगिक रेल परियोजनाओं के बारे में बड़ी-बड़ी बातें हैं, जिनका कोई मतलब नहीं है।’’