
रांची। राज्य में 38 करोड़ के शराब घोटाला मामले में 20 मई को गिरफ्तार झारखंड के वरिष्ठ आइएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे सहित सभी अन्य आरोपिताें पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने 90 दिन पूरे होने के बावजूद चार्जशीट दाखिल नहीं की। ऐसा तभी होता है, जब जांच एजेंसी के पास गिरफ्तार आरोपित के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य नहीं होते हैं। सोमवार को विनय कुमार चौबे की गिरफ्तारी के 90 दिन पूरे हुए थे।



एसीबी की ओर से रांची स्थित एसीबी की विशेष अदालत से चार्जशीट के लिए अतिरिक्त समय भी नहीं मांगा गया है। इन सभी बिंदुओं पर कुछ भी बोलने से एसीबी के अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। अब ससमय चार्जशीट दाखिल नहीं करने का लाभ निलंबित आइएएस विनय कुमार चौबे को मिल सकता है। वे जमानत पर बाहर आ सकते हैं और फिर अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दे सकते हैं। किसी भी गिरफ्तार आरोपित के विरुद्ध पुलिस तभी चार्जशीट नहीं करती है, जब उसके पास उस आरोपित के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य न हों। हो सकता है, एसीबी गिरफ्तारी के बाद उनके विरुद्ध साक्ष्य जुटाने में सफल नहीं हो सकी हो, जिसके चलते ससमय चार्जशीट नहीं कर सकी।
हालांकि, एसीबी के अधिकारिक सूत्रों की मानें तो जांच एजेंसी ने मंत्रिमंडल निगरानी एवं सचिवालय विभाग से निलंबित आइएएस विनय कुमार चौबे के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति के लिए अनुमति मांगी थी।
अनुमति नहीं मिलने के चलते उनके विरुद्ध चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी। अमूमन अभियोजन की स्वीकृति चार्जशीट के बाद भी मांगी जाती है। एसीबी ने चार्जशीट के पूर्व अभियोजन स्वीकृति की मांग क्यों की, यह भी गिरफ्तारी व जांच की प्रक्रिया पर पर संदेह पैदा करता है।