नयी दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने केंद्रीय बजट को निराशाजनक करार देते हुए सोमवार को कहा कि महंगाई एवं बेरोजगारी को लेकर कुछ ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं तथा आम लोगों को कोई राहत नहीं दी गई है।
उन्होंने यह भी कहा कि दो तरह की कर प्रणाली सही विचार नहीं है और इसे स्वीकारा नहीं जा सकता। चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा, “इस सरकार का पहला बजट बहुत निराशाजनक है।” उन्होंने दावा किया कि बेरोजगारी के मोर्चे पर सरकार ने कोई प्रभावशाली कदम नहीं उठाए हैं। उनका कहना था, “यह दावा कि वित्त मंत्री द्वारा घोषित योजनाओं से 2.90 करोड़ लोगों को लाभ होगा, अत्यधिक अतिशयोक्तिपूर्ण है।
चिदंबरम ने कहा, “महंगाई दूसरी बड़ी चुनौती है. डब्ल्यूपीआई (थोक मूल्य सूचकांक) मुद्रास्फीति 3.4 प्रतिशत, सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) मुद्रास्फीति 5.1 प्रतिशत और खाद्य मुद्रास्फीति 9.4 प्रतिशत है।”
उन्होंने दावा किया, “आर्थिक सर्वेक्षण ने चंद वाक्यों में महंगाई के मुद्दे को खारिज कर दिया। वित्त मंत्री ने अपने भाषण के पैरा तीन में 10 शब्दों में इसे खारिज कर दिया। हम सरकार के लापरवाह रवैये की निंदा करते हैं।”
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि बजट भाषण कहीं भी यह विश्वास नहीं दिलाता कि सरकार मुद्रास्फीति के मुद्दे से गंभीरता से निपटेगी।
उन्होंने कहा, “शिक्षा से संबंधित मुद्दा नीट और घोटालों से ग्रस्त राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी है। कई राज्यों ने मांग की है कि नीट को खत्म कर दिया जाना चाहिए और राज्यों को चिकित्सा शिक्षा में विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए उम्मीदवारों के चयन के अपने तरीके अपनाने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए। इस पर कोई जबाव नहीं आया।”
उन्होंने दावा किया कि कर भुगतान करने वाले नागरिकों को 0-20 प्रतिशत कर दायरे में कुछ राहत दी गई है, लेकिन गरीबों को कोई राहत नहीं दी गई है।